हर्बल रंगों को अधिक महत्व
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अलका ने बताया कि वह फूल-सब्जी से हर्बल गुलाल बनाने का काम कर रही हैं। हर्बल गुलाल तैयार करने के लिए वह कार्यक्रमों में बचे फूल और घर में बची हरी सब्जियों का प्रयोग करती हैं।
होली के त्योहार के लिए उन्हें अभी तक 50 किलोग्राम हर्बल गुलाल की बुकिंग मिल चुकी है। आने वाले दिनों में और भी बुकिंग मिलने की उम्मीद है। बताया कि गुलाब, गेंदे, चुकंदर, हल्दी, पालक और अमरूद की हरी पत्तियों को पीस कर हर्बल गुलाल बनाए जाते हैं।
गढ़ी कैंट की लीना बना रहीं जैविक खाद
गढ़ी कैंट निवासी महिला उद्यमी लीना ने वर्मी कंपोस्ट उत्पादन इकाई स्थापित की है। इसके लिए खादी ग्रामोद्योग बोर्ड की ओर से लीना की आर्थिक मदद की गई। लीना ने बताया कि वर्मी कंपोस्ट उत्पादन इकाई से खेती और पशु पालन को लाभ मिलने के साथ ही उन्हें रोजगार मिला है। बताया कि उन्हें अभी 60 किलोग्राम जैविक खाद की बुकिंग मिली है।
स्वरोजगार की ओर बढ़ रही महिलाओं की बोर्ड की ओर से पीएमईजीपी योजना के तहत आर्थिक मदद की जा रही है। दून की कई महिलाओं ने इस प्रकार की यूनिट तैयार की है। इससे वह स्वयं स्वरोजगार से जुड़ने के साथ ही रोजगार के अवसर पैदा कर रही हैं।
– डॉ. अलका पांडेय, जिला ग्रामोद्योग अधिकारी
अलका ने बताया कि वह फूल-सब्जी से हर्बल गुलाल बनाने का काम कर रही हैं। हर्बल गुलाल तैयार करने के लिए वह कार्यक्रमों में बचे फूल और घर में बची हरी सब्जियों का प्रयोग करती हैं।
होली के त्योहार के लिए उन्हें अभी तक 50 किलोग्राम हर्बल गुलाल की बुकिंग मिल चुकी है। आने वाले दिनों में और भी बुकिंग मिलने की उम्मीद है। बताया कि गुलाब, गेंदे, चुकंदर, हल्दी, पालक और अमरूद की हरी पत्तियों को पीस कर हर्बल गुलाल बनाए जाते हैं।
गढ़ी कैंट की लीना बना रहीं जैविक खाद
गढ़ी कैंट निवासी महिला उद्यमी लीना ने वर्मी कंपोस्ट उत्पादन इकाई स्थापित की है। इसके लिए खादी ग्रामोद्योग बोर्ड की ओर से लीना की आर्थिक मदद की गई। लीना ने बताया कि वर्मी कंपोस्ट उत्पादन इकाई से खेती और पशु पालन को लाभ मिलने के साथ ही उन्हें रोजगार मिला है। बताया कि उन्हें अभी 60 किलोग्राम जैविक खाद की बुकिंग मिली है।
स्वरोजगार की ओर बढ़ रही महिलाओं की बोर्ड की ओर से पीएमईजीपी योजना के तहत आर्थिक मदद की जा रही है। दून की कई महिलाओं ने इस प्रकार की यूनिट तैयार की है। इससे वह स्वयं स्वरोजगार से जुड़ने के साथ ही रोजगार के अवसर पैदा कर रही हैं।
– डॉ. अलका पांडेय, जिला ग्रामोद्योग अधिकारी