बीएसयूपी योजना के तहत बने आवास
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डूडा की 127 करोड़ रुपये की योजना में आवास बनाने की जिम्मेदारी आगरा विकास प्राधिकरण को सौंपी गई, लेकिन एडीए के इंजीनियरों ने नरायच और शास्त्रीपुरम में जो आवास बनाए, वह आवंटन और गृह प्रवेश से पहले ही खंडहर हो गए। नरायच में 4 मंजिला भवनों की तीसरी मंजिल के कॉलम और बीम में दरारें आ गई हैं। बीम में दरारों के कारण ये आवास कभी भी गिर सकते हैं।
शास्त्रीपुरम में छतों से टपका रहा पानी
गरीबों के लिए बनाए बेसिक सर्विसेज फॉर अर्बन पुअर (बीएसयूपी) के शास्त्रीपुरम में बने 1360 मकानों में छत टपक रही है। हाथ लगाते ही प्लास्टर झड़ रहा है। पीली ईंटों से बने आवासों में प्लास्टर टूटकर गिर रहा है। कमिश्नर अनिल कुमार के निर्देश पर दो अधिकारियों की टीम ने जब शास्त्रीपुरम के आवास का दिसंबर में निरीक्षण किया तो पाया कि पानी की टंकी रखी नहीं गई। जलापूर्ति की कोई व्यवस्था नहीं है और टॉयलेट चोक है। सीवर लाइन बिछाई नहीं गई। बिजली के स्विच तक आवासों में नहीं लगाए गए। बिजली का कनेक्शन न होने से ब्लॉक में अंधेरा है।
साल 2009 में शहरी गरीबों के लिए बीएसयूपी योजना लांच की गई। 5 हजार आवास बनाने की जिम्मेदारी एडीए को दी गई। डूडा की इस योजना में 4 अनुबंध के तहत नरायच में निर्माण कार्य कराए गए। 2014 में प्रदेश सरकार ने बजट रोक दिया तो ठेकेदारों ने काम बंद कर दिया।
भुगतान न होने पर काम करने वाली एजेंसियां और ठेकेदार इलाहाबाद हाईकोर्ट में वाद दाखिल करने के साथ आर्बिट्रेशन में चले गए। तब से अब तक मामला लंबित है। शास्त्रीपुरम में 1360 मकानों के लिए डूडा ने 56 करोड़ रुपये जारी किए, जिनमें ब्लॉक 3 के चारों पॉकेट का निर्माण शुरू किया गया है, लेकिन पुराने बने मकान पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो गए हैं और छतें गिरासू तथा पूरे मानसून नल की तरह से पानी बरसाती रहीं।
निर्माण संबंधी शिकायतें मिलीं
एडीए के सचिव राजेंद्र प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि शास्त्रीपुरम में जो शिकायतें आई थीं, उन्हें दूर कराया गया था, लेकिन यहां निर्माण संबंधी शिकायतें हैं। सीवर और पानी की भी शिकायतें मिली हैं। ठेकेदार से कमियों को दूर कराएंगे। नरायच में आईआईटी रुड़की से स्ट्रक्चरल जांच के लिए कहा गया है। उन्होंने अभी जांच शुरू नहीं की है।
इससे अच्छा तो हम खुद बनवा लेते
शास्त्रीपुरम में बीएसयूपी के तहत बने मकान में रहने वाले जीत सिंह ने बताया कि जो आवास आवंटित किया, उसकी अगस्त में छत गिर गई। सरिया निकल रही हैं। छज्जा भी टूट गया। प्लास्टर जब-तब गिरता रहता है। इससे अच्छा तो हम खुद बनवा लेते।
पानी की व्यवस्था नहीं
किशन सिंह ने कहा कि आावास में पानी की कोई व्यवस्था नहीं की गई। छतों पर पानी की टंकी ही नहीं है। टॉयलेट चोक हैं और बिजली के स्विच नहीं हैं। ऐसी अंधेरगर्दी मचाई है कि सभी अधिकारियों ने आंखों पर पट्टी बांध ली है।
सोते समय प्लास्टर गिरा
बीएसयूपी के तहत बने मकान में रहने वाली पुष्पा देवी ने कहा कि जब आवंटन हुआ तो लगा कि अपना मकान होगा, लेकिन इससे भली तो अपनी झोंपड़ी थीं। कम से कम टीन डालकर रह तो लेते। छत कभी भी गिर रही हैं। प्लास्टर सोते समय मुंह पर गिरा। यहां तो जान के लाले हैं।
सार
- आगरा के नरायच में आवंटन से पहले ही टूटे 3640 मकान… बीम, कॉलम, स्लैब में आईं दरारें, आईआईटी रुड़की की टीम करेगी जांच
विस्तार
डूडा की 127 करोड़ रुपये की योजना में आवास बनाने की जिम्मेदारी आगरा विकास प्राधिकरण को सौंपी गई, लेकिन एडीए के इंजीनियरों ने नरायच और शास्त्रीपुरम में जो आवास बनाए, वह आवंटन और गृह प्रवेश से पहले ही खंडहर हो गए। नरायच में 4 मंजिला भवनों की तीसरी मंजिल के कॉलम और बीम में दरारें आ गई हैं। बीम में दरारों के कारण ये आवास कभी भी गिर सकते हैं।
शास्त्रीपुरम में छतों से टपका रहा पानी
गरीबों के लिए बनाए बेसिक सर्विसेज फॉर अर्बन पुअर (बीएसयूपी) के शास्त्रीपुरम में बने 1360 मकानों में छत टपक रही है। हाथ लगाते ही प्लास्टर झड़ रहा है। पीली ईंटों से बने आवासों में प्लास्टर टूटकर गिर रहा है। कमिश्नर अनिल कुमार के निर्देश पर दो अधिकारियों की टीम ने जब शास्त्रीपुरम के आवास का दिसंबर में निरीक्षण किया तो पाया कि पानी की टंकी रखी नहीं गई। जलापूर्ति की कोई व्यवस्था नहीं है और टॉयलेट चोक है। सीवर लाइन बिछाई नहीं गई। बिजली के स्विच तक आवासों में नहीं लगाए गए। बिजली का कनेक्शन न होने से ब्लॉक में अंधेरा है।